Sunday, December 21, 2008

Touch My Words

Just touch my words with your eyes
feel my every alphabet
Just pronounce my words with your live lips
and you will get my eyes as your eyes,
my lips as your lips, my voice will be yours


For a moment You'll be within me or
I'll be within you.
None will be the container but
we will be contained in each other.

May be that time you'll get the meaning
of those words which died before their birth
You will see their remains
in my heart, in my every vein too
which will show you that they really
tried to come outside but
always got a havoc, a whirlpool of emotions.

May be you can get their last desire
which they can't express now

May be you can create another creation
with those remains....
So just touch my words with your eyes…

1 comment:

अनूप शुक्ल said...

अद्भुत! इसका हिन्दी भावानुवाद भी करो न!हड़बड़िया वाला हम करते हैं! देखो!

मेरे शब्दों को अपनी आंखों से छुओ,
मेरे सारे ककहरे को महसूस करो,
मेरे शब्दों को अपने थरथराते ओठों से दोहराओ,
तुम्हें मेरी आंखें अपनी जैसी महसूस होगी
मेरे होंठ तुम्हारे होठों जैसे और मेरी आवाज तुम्हारी!

एक पल को तुम मेरी होगी
मैं तुममें होऊंगा
किसी को शिकायत न होगी
हम एक दूसरे में डूब जायेंगे।

शायद तब तक तुम मतलब समझो सको तुम
उन शब्दों का
जो पैदाइश के पहले ही खत्म हो गये
तुम शायद उनकी राख देखो
मेरे मन में,मेरी शिराओं में
जो तुमको एहसास दिलायें कि
वे सच में बाहर आना चाहते थे
लेकिन भावनाओं के भंवर में फ़ंस कर रह गये।

शायद तुम उनकी अन्तिम इच्छा जान सको
जो अब वे बता नहीं सकते।

शायद इन मिट चुकी यादों से
तुम नयी रचना कर सको

इसलिये मेरे शब्दों को अपनी आंखों से छुओ!