एक दिन मैं
उसके घर के सामने से निकला,
घर के बाहर कागजों के
कुछ चीथडे पड़े हुए थे...
मुझे उम्मीद थी की वो
मेरे ख़त के टुकडे होंगे..
मैंने उन्हें उठाया,
घर लाया
फिर करीने से लगाया…
तब पाया......
की वो एक कागज़ था
जिस पर कई बार मेरा नाम लिखा हुआ था................."
2 comments:
वाह! वाह! अविश्वास का संकट खत्म हो गया। :)
बेहतरीन...
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