आज किसी की याद आई
दो आंसू भी गिरे
और न जाने कहाँ खो गए
मैं बस ढूँढता रहा फर्श
पर उनके निशाँ
पर कुछ न मिला
तुब उठाई मैंने अपनी
पुरानी एक डायरी
और ढूढना शुरू किया
उसका नाम…
पर कुछ पन्ने गायब
मिले, और
नहीं मिला उसका नाम भी
कुछ शब्द दिखे जो की
इतने बेरहमी से काटे गए थे
की उन्हें पढ़ पाना नामुमकिन था....
तभी मन में ख्याल आया
की उसकी एक तस्वीर
थी मेरे पास,
मैंने पूरी अलमारी छान डाली,
ब्रीफ़्केस छान डाला,
अपने कमरे का हर एक
कोना छान डाला,
तुब मिली एक तस्वीर और
वो भी मेरे तकिये के नीचे से
पर ............
पर ये तो 'मैं' था
वही पुराना 'मैं' ……
1 comment:
मुलाकात मुबारक!
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