Monday, November 30, 2009

वो गुल्लक फ़ोड आया!!

bhojan

कुछ दुआये
मै एक गुल्लक मे
रखता था..
चन्द कौडिया थी,
रहमतो मे लिपटी हुयी..
बुजुर्गो ने बरकते दी थी..

 

उस बूढे फ़कीर ने,
जब सर पे हाथ रखा,
दुआ दी कि एक अच्छे इन्सा
बने रहना…
वो सारी कौडिया मै
उसके कासे मे डाल आया…..

आज…
आज मै वो गुल्लक फ़ोड आया…….॥

Monday, November 9, 2009

गुलज़ार साब और मेरी पहली त्रिवेणी….

१- ज़िन्दगी क्या है जानने के लिये,
    ज़िन्दा रहना बहुत ज़रूरी है।

   आजतक कोई भी रहा तो नही॥

२- आओ हम सब पहन ले आईने,
    सारे देखेगे अपना ही चेहरा।

    सबको सारे हसी लगेगे यहा॥

३- लब तेरे मीर ने भी देखे है,
    पन्खुडी एक गुलाब की सी है।

    बाते सुनते गालिब हो जाते॥

४- ऐसे बिखरे है रात – दिन जैसे
    मोतियो वाला हार टूट गया।

   तुमने मुझको पिरोके रखा था॥

गुलज़ार त्रिवेणी

त्रिवेणी आखिर क्या है??

गुलज़ार खुद कहते है-

त्रिवेणी आखिर क्या है??

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काश मेरी भी ऐसी आवाज़ होती!! :)

गुलज़ार साब की आवाज़ मे उनकी इक नज़्म सुनिये –

मकान की ऊपरी मन्ज़िल पे अब कोई नही रहता,

वो कमरे बन्द है कबसे…..

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नाम सोचा ही नही था, कि है कि नही
‘अमा’ कह के बुला लिया किसी ने,
‘ए जी’ कह के बुलाया दूज़े ने,
‘अबे ओ’ यार लोग कहते है,
जो भी यू जिस किसी के जी आया,
उसने वैसे ही बस पुकार लिया॥

तुमने एक मोड पर अचानक जब,
मुझको गुलज़ार कह्के आवाज़ दी,
एक सीपी से खुल गया मोती,
मुझको एक माणी मिल गया जैसे॥
आह!! ये नाम खूबसूरत है..

फिर मुझे नाम से बुलाओ तो………

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मेरी पहली त्रिवेणी -

आजकल घन्टो आईना देखता रहता हू,
आखो के पास एक दाग सा बन रहा है।


कभी किसी ने बडे प्यार से मेरी आखे चूमी थी॥

Sunday, November 1, 2009

मै और मेरी डल ज़िन्दगी!!

 

Lonely

वो पल
जो तुमने मुझसे
उधार मागे थे..
तुम्हारा बटुआ
घर रह गया था शायद
और तुम्हे घर वापस भी जाना था... 


मेरी ज़िन्दगी भी तुम्हारे
पास ही रह गयी है..
उस दिन तुम्हे पहनने को दी थी..
उस काफ़ी हाउस का एसी कुछ 
ज्यादा ही ठन्डा था न?

 

तब से ये मागी हुयी
ज़िन्दगी पहन रहा हू
न जाने कबसे धोयी भी नही है………
समय भी नही मिलता……, आजकल
काम भी बढ गया है……
और बाम्बे मे उतनी ठन्ड भी नही पडती…

 

सच कहू………..
तो नयी लेने की हिम्मत नही रही
आजकल गारन्टी भी तो नही रहती
और मेरी फ़िटिग की मिलनी भी
बहुत मुश्किल है……

 

कभी इधर आना हो तो
लेती आना……
अगर तुम्हारी विदेशी परफ़्यूम ने
उसे खुशबुओ से ना भर दिया हो तो…..
तुम्हे तो पता है ना कि मुझपर वो
डल (dull) और सादी ज़िन्दगी कितनी सूट करती है……

लोग कहते थे कि मै उसमे अच्छा दिखता था॥……..