१- ज़िन्दगी क्या है जानने के लिये,
ज़िन्दा रहना बहुत ज़रूरी है।
आजतक कोई भी रहा तो नही॥
२- आओ हम सब पहन ले आईने,
सारे देखेगे अपना ही चेहरा।
सबको सारे हसी लगेगे यहा॥
३- लब तेरे मीर ने भी देखे है,
पन्खुडी एक गुलाब की सी है।
बाते सुनते गालिब हो जाते॥
४- ऐसे बिखरे है रात – दिन जैसे
मोतियो वाला हार टूट गया।
तुमने मुझको पिरोके रखा था॥
त्रिवेणी आखिर क्या है??
गुलज़ार खुद कहते है-
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काश मेरी भी ऐसी आवाज़ होती!! :)
गुलज़ार साब की आवाज़ मे उनकी इक नज़्म सुनिये –
मकान की ऊपरी मन्ज़िल पे अब कोई नही रहता,
वो कमरे बन्द है कबसे…..
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नाम सोचा ही नही था, कि है कि नही
‘अमा’ कह के बुला लिया किसी ने,
‘ए जी’ कह के बुलाया दूज़े ने,
‘अबे ओ’ यार लोग कहते है,
जो भी यू जिस किसी के जी आया,
उसने वैसे ही बस पुकार लिया॥
तुमने एक मोड पर अचानक जब,
मुझको गुलज़ार कह्के आवाज़ दी,
एक सीपी से खुल गया मोती,
मुझको एक माणी मिल गया जैसे॥
आह!! ये नाम खूबसूरत है..
फिर मुझे नाम से बुलाओ तो………
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मेरी पहली त्रिवेणी -
आजकल घन्टो आईना देखता रहता हू,
आखो के पास एक दाग सा बन रहा है।
कभी किसी ने बडे प्यार से मेरी आखे चूमी थी॥
14 comments:
Nice on gulzar writings...
गुलजार साहब की नज्में और आपकी त्रिवेणी दोनो बढिया ।
triveni ne gulzaar kee chhawi ko saraswati kee tarah khud mein dhaal liya .................
ज़िन्दगी क्या है जानने के लिये,
ज़िन्दा रहना बहुत ज़रूरी है।
आजतक कोई भी रहा तो नही॥
bahut achchi lagi gulzar ki nazmen...
अपुन के पास दोनों कलेक्शन में है.....ओर तुम्हारी त्रिवेणी..गज़ब है भाई
सच में आजतक कोई भी रहा तो नही॥विडम्बना देखिये की कफन ओड़ने वाला अपने कफ़न को देख भी नहीं पता .
गुलज़ार जी to great hain hii, saath mai पंकज जी को ढेर सारा साधुवाद
Rupin
Thanks everyone...
@Anurag Bhai
Aapke paas aur kya kya hai, wo nahi bataya aapne :P
@rupin
Thanks for the nice words man :)
गुलज़ार जी के नज़्मे के क्या कहने! वाह बहुत बढ़िया लगा!
bahut hi sundar triveni padhwayi.......shukriya.
sundar prastuti.
fir mujhe naam se bulao to..awesome
क्या बात है! सुन्दर!
Waah Pankaj....Gulzaar ke andaaz se to wakif hain ham.....lekin jo last mein aapne triveni likhi hai kamaal hain
अभी तुम्हारे त्रिवेणी वाले लेबल पर गया था.. गुलजार कि त्रिवेणी से अधिक तुम्हारी त्रिवेणी पसंद आई..
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