Monday, November 9, 2009

गुलज़ार साब और मेरी पहली त्रिवेणी….

१- ज़िन्दगी क्या है जानने के लिये,
    ज़िन्दा रहना बहुत ज़रूरी है।

   आजतक कोई भी रहा तो नही॥

२- आओ हम सब पहन ले आईने,
    सारे देखेगे अपना ही चेहरा।

    सबको सारे हसी लगेगे यहा॥

३- लब तेरे मीर ने भी देखे है,
    पन्खुडी एक गुलाब की सी है।

    बाते सुनते गालिब हो जाते॥

४- ऐसे बिखरे है रात – दिन जैसे
    मोतियो वाला हार टूट गया।

   तुमने मुझको पिरोके रखा था॥

गुलज़ार त्रिवेणी

त्रिवेणी आखिर क्या है??

गुलज़ार खुद कहते है-

त्रिवेणी आखिर क्या है??

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काश मेरी भी ऐसी आवाज़ होती!! :)

गुलज़ार साब की आवाज़ मे उनकी इक नज़्म सुनिये –

मकान की ऊपरी मन्ज़िल पे अब कोई नही रहता,

वो कमरे बन्द है कबसे…..

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नाम सोचा ही नही था, कि है कि नही
‘अमा’ कह के बुला लिया किसी ने,
‘ए जी’ कह के बुलाया दूज़े ने,
‘अबे ओ’ यार लोग कहते है,
जो भी यू जिस किसी के जी आया,
उसने वैसे ही बस पुकार लिया॥

तुमने एक मोड पर अचानक जब,
मुझको गुलज़ार कह्के आवाज़ दी,
एक सीपी से खुल गया मोती,
मुझको एक माणी मिल गया जैसे॥
आह!! ये नाम खूबसूरत है..

फिर मुझे नाम से बुलाओ तो………

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मेरी पहली त्रिवेणी -

आजकल घन्टो आईना देखता रहता हू,
आखो के पास एक दाग सा बन रहा है।


कभी किसी ने बडे प्यार से मेरी आखे चूमी थी॥

14 comments:

Neha Bagoria said...

Nice on gulzar writings...

Asha Joglekar said...

गुलजार साहब की नज्में और आपकी त्रिवेणी दोनो बढिया ।

रश्मि प्रभा... said...

triveni ne gulzaar kee chhawi ko saraswati kee tarah khud mein dhaal liya .................

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

ज़िन्दगी क्या है जानने के लिये,
ज़िन्दा रहना बहुत ज़रूरी है।

आजतक कोई भी रहा तो नही॥
bahut achchi lagi gulzar ki nazmen...

डॉ .अनुराग said...

अपुन के पास दोनों कलेक्शन में है.....ओर तुम्हारी त्रिवेणी..गज़ब है भाई

raavan said...

सच में आजतक कोई भी रहा तो नही॥विडम्बना देखिये की कफन ओड़ने वाला अपने कफ़न को देख भी नहीं पता .
गुलज़ार जी to great hain hii, saath mai पंकज जी को ढेर सारा साधुवाद
Rupin

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

Thanks everyone...

@Anurag Bhai

Aapke paas aur kya kya hai, wo nahi bataya aapne :P

@rupin
Thanks for the nice words man :)

Urmi said...

गुलज़ार जी के नज़्मे के क्या कहने! वाह बहुत बढ़िया लगा!

vandana gupta said...

bahut hi sundar triveni padhwayi.......shukriya.

sandhyagupta said...

sundar prastuti.

डिम्पल मल्होत्रा said...

fir mujhe naam se bulao to..awesome

अनूप शुक्ल said...

क्या बात है! सुन्दर!

प्रिया said...

Waah Pankaj....Gulzaar ke andaaz se to wakif hain ham.....lekin jo last mein aapne triveni likhi hai kamaal hain

PD said...

अभी तुम्हारे त्रिवेणी वाले लेबल पर गया था.. गुलजार कि त्रिवेणी से अधिक तुम्हारी त्रिवेणी पसंद आई..