मैंने किसी को कुछ फूल भेजे थे
कुछ खिली,
कुछ अधखिली कलियाँ,
एक डोर मैं बंधी…
कोशिश थी अपने निस्वार्थ नेह को
अभिव्यक्त करने की।
उसने मुझे वही सूखे,
मुरझाये हुए फूल
उसी डोर मैं बांधकर भेजे हैं
एक पत्र भी है संलग्न
जिसकी कुछ पंक्तियाँ निम्न हैं--
"हम रहे न रहे
तुम रहो न रहो
हमारा यौवन रहे न रहे
पर यह प्रेम डोर रहेगी...
हमेशा रहेगी"
2 comments:
प्रेम नहीं रह जाता, तब भी उससे जुड़ी सारी स्मृतियां रहती हैं। जिस सड़क से गुजरे हों कभी एक पल को, सालों बाद भी उस सड़क से गुजरते स्मृति जी उठती है, हालांकि प्रेम कहीं बहुत दूर जा चुका होता है। पता है, इंसान यादों की गठरी है। हमेशा ढेर सारी पुरानी स्मृतियां लिए लिए िफरता है।
मनीषा की बात का मतलब है- इंसान स्मृति कुली होता है!
Post a Comment