ऑफिस से आया,
फ्रेश हुआ,
फिर सोंचा कुछ लिखूं,
अपनी पुरानी डायरी उठाई,
कुछ पन्ने पलटे,
एक सूखा गुलाब का फूल,
जैसे गिरते गिरते रह गया,
एक सिहरन सी दौड़ गई
पूरे जिस्म में,
अभी भी जैसे वो मेरी आंखों
में देख रही थी,
उसकी गर्म और तेज़
साँसें, मेरे गालों पर अभी भी
दौड़ रही थीं।
कितना डरती थी वो गालों
पर भी किस करने में, और
मुझे न जाने क्या मिल जाता था?
अभी भी गालों पे एक
गिलावत है ........
जब वो हंसती थी, तो
मैं श्रृंगार लिखता था,
रोती थी, तो मेरी
कविता भी रोती थी
मेरे शब्द उसके साथ
नाचते थे, खेलते थे
और बातें करते थे।
वो कितना रोयी थी, जब
मैंने उसे अपनी पहली कविता
सुनाई थी, बोलती थी "तुम मुझसे
कितना प्यार करते हो, बेवकूफ!!"
और मैं सिर्फ़ उसके
आँसू गिनता रहा था।
वो लाल सूट और दूधिया
दुपट्टा, और वो अच्छे से बंधे हुए बाल,
वो आँखें जिनमें मेरा ह्रदय दीखता था,
वो भरे हुए गाल जो ठण्ड में
लाल हो जाते थे, और में उसे
'टमाटर' बुलाता था।
वो उसकी उँगलियाँ जो
हर वक्त मेरे बालों को
ही ठीक करती रहती थीं,
उसकी बिंदी के तो हिलने का
मैं इंतज़ार करता था, की कब वो
हल्का सा हिले और मैं बोलूँ
की "रुको! बिंदी ठीक करने दो"।
उसको याद भर करने से,
मुस्कराहट लबों पे अपने आप
आ जाती है,
इस सूखे फूल में वो मुझे दिखती है..........
लोग मुझसे पूछते हैं, की मैं क्यूँ
नहीं लिखता?,
मैं सिर्फ़ इतना कहता हूँ की
मेरी कविता ही नहीं है।।
8 comments:
लोग मुझसे पूछते हैं, की मैं क्यूँ
नहीं लिखता?,
मैं सिर्फ़ इतना कहता हूँ की
मेरी कविता ही नहीं है।।
अच्छे भाव हैं ...जो दिल में हैं वह दूर कहाँ .आप लिखये आपकी बात पहुँच ही जायेगी
उसको याद भर करने से,
मुस्कराहट लबों पे अपने आप
आ जाती है,
इस सूखे फूल में वो मुझे दिखती है..........
bahut hi bhaav bhari kavita hai...bahut achchee lagi.
Aap log yahan aaye, kabhi hum appko, kabhi apni post ko dekhte hain..
dhanywaad aapke protsahan ke liye..
जब वो हंसती थी, तो
मैं श्रृंगार लिखता था,
रोती थी, तो मेरी
कविता भी रोती थी
मेरे शब्द उसके साथ
नाचते थे, खेलते
लाजवाब रचना ! बहुत पसंद आई !
रामराम !
ye kavita bhi bahut khoobsoorat hai.
yeh kavita to lihki hai ir woh kyun kehte ho ki tum likhte nahi...jhothe, makkar, dhokhebaaz
बहुत सुन्दर! बेहतरीन अभिव्यक्ति! ये गजब का सीन है भैये-
वो कितना रोयी थी, जब
मैंने उसे अपनी पहली कविता
सुनाई थी, बोलती थी "तुम मुझसे
कितना प्यार करते हो, बेवकूफ!!"
और मैं सिर्फ़ उसके
आँसू गिनता रहा था।
Wow!!! Especially, loved the last lines
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