एक शराबी की, मदिरा है जिंदगी,
एक तबायफ की, मुन्जरा है जिंदगी,
एक दीवाना बोला, दिलरुबा है जिंदगी
एक बूढा बोला, इन्तहा है जिंदगी,
किसान बोला, खेतों में जिंदगी,
एक जवान बोला, हाथों पे जिंदगी,
एक लेखक बोला, साहिल है जिंदगी,
एक होनहार बोला, जाहिल है जिंदगी,
मैं इसे अब तक समझ न पाया,
तो क्या विचार दूँ?
अपनी जिंदगी क्या 'जिंदगी' के पीछे
गुजार दूँ!!
छोटी सी कमलिनी के लिए
सविता है जिंदगी,
मैं तो कवि हूँ,
मेरे लिए कविता है जिंदगी।।
4 comments:
pankaj!!!!!
zindagi k sabke apne maayne hain
tumhari kavita ye sach bakhoobi bayan karti hai
bahut achchhe , meri shubh kamnayein tumhare saath hain
keep it up !
bahut hi acchi kavita .
मैं तो कवि हूँ,
मेरे लिए कविता है जिंदगी।।
mujhe ye pankhtiyan bahut pasand aayi hai ..
aur hum sab kaviyon ke liye ye sach bhi hai .
bahut badhai
kabhi mere blog par aayiyenga pls
vijay
poemsofvijay.blogspot.com
मैं इसे अब तक समझ न पाया,
तो क्या विचार दूँ?
अपनी जिंदगी क्या 'जिंदगी' के पीछे
गुजार दूँ!!
छोटी सी कमलिनी के लिए
सविता है जिंदगी,
मैं तो कवि हूँ,
मेरे लिए कविता है जिंदगी।।
ek baar fir se zabardast endling....good work
अहा जिंदगी! वाह जिन्दगी!
गजनट!
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