वसंत को झरते देखा है
अपने ह्रदय के एक कोने में,
हमने शब्दों को मरते देखा है।
रफ्तारों को थकते देखा है,
कलमों को रुकते देखा है,
अपनी आंखों के किनारों से
हमने शब्दों को बहते देखा है।
आधारों को ढहते देखा है,
तूफानों को भी, सहते देखा है,
रातों में उठ उठ कर,
हमने शब्दों को टहलते देखा है।
राहों को चलते देखा है,
साँसों को थमते देखा है,
अपनी बर्फीली सोंचों में भी,
हमने शब्दों को जलते देखा है।
भँवरे को कलियाँ, मसलते देखा है,
'करीब' को फासलों में बदलते देखा है,
अपने मन के रेगिस्तानों में भी,
हमने शब्दों को चरते देखा है।
आत्मा को भी मरते देखा है,
इश्वर को भी डरते देखा है,
हाँ! मेरी कोख में भी कभी शब्द हुआ करते थे,
मैंने इक इक करके, सबको मरते देखा है।
20 comments:
रातों में उठ उठ कर,
हमने शब्दों को टहलते देखा है।
वाह पन्कज जी वाह ! लाजवाब !
क्रिशमश की घणी रामराम !
zabardast endinh hai dost...bhokaal ker diya tumne
रातों में उठ उठ कर,
हमने शब्दों को टहलते देखा है।
बहुत बढ़िया भाव लगे आपकी इस रचना के .बहुत सुंदर
बहुत अच्छी कविता है, वधाई.
पर आत्मा नहीं मरती, न ही ईश्वर मरता है, न ही शब्द मरते हैं. हमें ऐसा लगता है. ऐसा न लगे, इस के लिए कर्म करना चाहिए.
शब्दों को बहते,टहलते,जलते,चरते और मरते देखा है. -बहुत खूब!
शब्दों को लेकर लिखी गई अनूठी कविता। सुन्दर भाव...........
बधाई हो आपके बहुत कुछ देख लिया . हैप्पी क्रिसमस !
रातों में उठ उठ कर,
हमने शब्दों को टहलते देखा है।
wah bahut hi lajawaab rachana har shabd sundar badhai
आज तो आपके एक एक शब्द जी रहे हैं और आप कह रहे हैं मरते देखा है || बहुत खूब भाई...मौत से ही ज़िन्दगी पाई...
Aapki sabhi rachnayen achchi hain.Shubkamnayen.
kyaa khoob likha mubaarak
कोटि कोटि धन्यवाद, आप सबके प्रोत्साहन के लिए। लग रहा है मेरे शब्दों को मरना बेकार नहीं गया। वो अभी भी मेरे आस पास हैं.....
बहुत सुंदर रचना लगी पंकज जी
सुंदर शब्द संयोजन और उतने ही सुंदर भाव
बधाई
बहुत सुंदर भाव
Very nice poetry. you have the perfect flair. please also visit my poetry at http://poetrika.blogspot.com
thanks, rashi
gud one .
the words itself explaining its pain.
behad khoobsoorat rachna. marte marte bhi shabd bahut kuch kah rahe hain, inhein suniye aur fir likhiye.
behad accha likha hai aapne
Awesome pankaj!!!!... ur words express everything!!! keep expressing and let ur emotions flow :))
revisited the poem while voting for indiblogger...kudos...way to go :)
सुन्दर है। वैसे शब्द कभी नहीं मरते!
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