मुझे अपना हिन्दी ब्लॉग पुनरजीवित किए हुए आज ५ दिन हो गए। बस पूजा जी ने न जाने कैसे हमारी एक भूली बिसरी पोस्ट पढ़ ली जो हमने अपने इंग्लिश ब्लॉग पे पोस्ट की थी। कुछ बचा ही नहीं था अपनी वास्तविक रचनाओं के अलावा। बस हमने पूजा जी के ब्लोग्स का अध्यन उसी वक्त किया और जैसे पुराना कवि जाग गया जो थोड़ा बहुत लिख लेता था या लिखने में गर्व महसूस करता था। हमारी तरफ़ से पूजा जी को ये ओफिसिअल धन्यवाद॥
चिट्ठाजगत पे नया नया शामिल हुआ। काफ़ी लोगों को पढ़ा, सब एक से एक धुरंधर। तब पता चला की वो दोस्तों की गर्ल फ्रेंड्स को एक कविता सुनाना कितना आसान था और यहाँ बैठे महान लोगों को अपनी एक पोस्ट पढ़वाना भी कितना मुश्किल।
ज्ञान जी और समीर जी तो ब्लोग्स का रुख किधर भी मोड़ देते हैं और कुछ ही पलों में वो मोड़, पक्की सड़कें बन जाते हैं और हम जैसे लोग उन पर चलना शुरू कर देते हैं। बस हमें एक शिकायत है जैसे वो नए लोगों का स्वागत करते हैं, हमारा नहीं किया। चलिए कोई बात नहीं, हम ही अपनी कृत्यज्ञता जाहिर कर देते हैं। आप दोनों को सादर नमस्कार ।
नीरज जी को ऑरकुट से जानता हूँ और उनके जगजीत सिंह के प्रेम की वजह से भी। ताऊ की हरयान्वी स्टाइल ने तो बस दीवाना कर दिया। कुश की coffee अच्छी लगी क्यूंकि मुझे एक वही jaria दिखा आप लोगों को अच्छे से समझने का। डॉक्टर साहेब की गलतियों ने काफ़ी कुछ याद दिलाया, लिखने से पहले सोंचना पड़ेगा :)। चवन्नी चाप भी काफ़ी पसंद आए। रंजना जी ने जब मेरे लिखे को सराहा तो आत्मविश्वास जगा। जिस जिसको पढ़ा सब एक से एक। अभी लगता है एक नया जीवन मिला है। रात में खवाबों में भी चिट्ठाचर्चा की बिंदी पे हँसी आती है। एक दो मित्रों को चर्चा पढाई थी, पूछते रहते हैं की बिंदी हिली की नहीं :) अब हम उन्हें क्या बताएं हम भी काफ़ी स्लो थे कभी ;)
आपको क्या लगा इतनी बकवास क्यूँ की हमने?? कुछ नहीं बस एक एक्साम है ७ जनवरी को और ये शब्द हमें कुछ और करने ही नहीं दे रहे तो सोंचा की आप सब लोगों को नएवर्ष की शुभकामनायें भी दे दूँ, आप लोगों का आशीर्वाद भी ले लूँ और कुछ दिन के लिए अपने मन को शून्य में ले जाने की कोशिश करूं। वादा नहीं कर सकता की ७ जनवरी से पहले कुछ नहीं लिखूंगा, लिखा तो आप सबके सामने होगा। पर कोशिश करूंगा की आप लोगों को तब तक बख्श दूँ। :)
हमारे एक मित्र हमारे बारे में लिखते हैं.....
“भगवन की अपरम्पार माया है इतने हरामखोर आदमी ने इतना सीधा चेहरा पाया है !
लड़कियों के दिल पे अब बस इसी का साया है, लगता शरीफ है पर दारू सुट्टा सब आजमाया है!!
पुराने लखनऊ में हर आदमी से साला मार खाया है!!
जितना टेढा ख़ुद है उतना ही टेढा दिमाग पाया है,
ना जाने कितने एक्साम्स में जाने कितनो का बेडा पार कराया है !
अपनी क्नोव्लेद्ग से हर जगह साले ने भोकाल मचाया है,
जाने साले ने कौन सी चक्की का आटा खाया है !!
सबकी जिन्दगी नर्क करने के लिए ये ज़मीन पे आया है,
लेकिन दोस्त इसके जैसा किस्मत वालों को ही मिल पाया है!! “
आप सबके जीवन में नव वर्ष वो सारी खुशियाँ लाये जिनके बारे में आपने कभी भी सोंचा हो। अलविदा कुछ दिनों के लिए। मिलते हैं एक ब्रेक के बाद....
तब तक पढ़ते रहिये॥
ये मेरी बचपन की डायरी के कुछ पन्ने हैं.. अभी तक सहेज के रखे थे, अच्छा लगेगा अगर आप बस अपनी दृष्टि दाल देंगे और मुझे भी रास्ते दिखा देंगे....
धन्यवाद……