Sunday, December 21, 2008

आज भी मेरी आँखें हैं नम

आज रात मुझसे बोले
आसमा के सारे सितारे
की “कहाँ है वो?
जिसके लिए हर रात
निकलते हैं हम
वो हमें रात्रि के अन्धकार मे भी देख ले,
यही सोंचकर तो चमकते हैं हम”।


मैंने कहा “वो आज नहीं आया
वादा तो था पर
शायद इस रात
हमारी आखिरी मुलाक़ात होती
क्यूंकि तुम सब तो उसे देख ही लोगे
किसी और के साथ
पर मैं नहीं देख पाऊँगा
उसके नवीन जीवन की
वह नवीन रात…


मरने के बाद शायद
मैं भी बन जाऊं सितारा
पर चमकूंगा सबसे कम…
की जान जाए मेरा सनम…
की आज भी मेरी आँखें हैं नम”।

1 comment:

अनूप शुक्ल said...

क्या प्लानिंग है। मरने के बाद सितारा बनोगे। कम चमकोगे! अभी जीने की बतिया करो भैया। जियो-चमको-महको! झकास!