Sunday, May 17, 2009

रात है जैसे अन्धा कुआ!!

कभी कभी बाम्बे, काट्ने के लिये दौडता है और कुछ भी समझ मे नही आता। ऐसे वक्त पूरी कोशिश करता हू कि दिमाग को कुछ भी सोचने का मौका ना दू। आज सुबह से तीन मूवीज़ देख चुका हू पर मन अभी भी कन्ट्रोल मे नही है।

भुपिन्दर जी का एक गाना है जो मेरी इस स्थिति को काफी अच्छे से बया करता है:-

 

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एक अकेला इस शहर मे, रात मे और दोपहर मे

आबदाना ढूढ्ता है, एक आशियाना ढूढ्ता है॥

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दिन खाली खाली बर्तन है और रात है जैसे अन्धा कुआ..

इन सूनी अन्धेरी आखो से आसू कि जगह आता है धुआ..

जीने की वजह तो कोइ नही, मरने का बहाना ढूढ्ता है॥

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इन उमर से लम्बी सड्को को, मन्ज़िल पे पहुचते देखा नही..

बस दौड्ती फिरती रहती है, हुमने तो ठहरते देखा नही..

इस अजनबी से शहर मे, जाना पहचाना ढूढ्ता है॥

एक अकेला इस शहर मे…………..

Saturday, May 16, 2009

उत्तर प्रदेश, मुझे तुझपर गर्व है!!

मैने कभी तेरे लोगो पे शक नही किया……., तेरे नेताओ पे किया। उनपर किया जिनहोने तेरे विकास के लिये अन्ग्रेजी और computer को ban करने की बात की, उनपर किया जिन्होने तुझे जातियो मे बाट दिया, उनपर किया जिन्होने विकास कि जगह मूर्तिया लगवाने का काम किया, उनपर किया जिन्होने तेरी कोख पर धर्म की होली खेलने की कोशिश की।

हर बार की तरह, इस बार भी तुने भारत को राह दिखायी है। तुने काग्रेस और राहुल गान्धी को राह दिखायी है। राहुल के पास जाति और धर्म का कोइ मुद्दा नही था, वो गाव गाव गया, तेरे लोगो के साथ खाना खाया, तेरे लोगो को समझा। उसने बोला कि जिस दिन गरीबो को ऊपर लेकर आयेगा, उस दिन भारत चमकेगा… ।

और तुने एक अछ्छे नेता की सुनी। तू जाति और धर्म से ऊपर उथी और तूने देश के लिये सोचा। आज मै खुश हू और गर्वान्वित महसूस कर रहा हू कि तुने फिर से भारत को एक राह दिखायी है…………………

कैफ़ी आज़मी ने कभी कहा था:

“अज़ाओ मे बहते थे आसू, यहा लहू तो नही,

ये कोई और जगह होगी, लखनऊ तो नही॥”

UP तुझे मेरा सलाम !!