सितंबर का महीना शायद खूबसूरत ख्वाब देखने के लिये सबसे मुफ़ीद है..तभी..और उन ख्वाबों के संग बिछड़ी यादों के टूटे कांच की कसक भी बावस्ता होती है...मगर ख्वाबों के रंग नही बदलते..बस कैनवस बदल जाते हैं...जिंदगी के साथ..सच..जिंदगी वाकई बदल गयी है..और अभी बदलनी बाकी है..मगर सितंबर के ख्वाब अगर आँखों की कोरों मे अटके रहें तो अपनी पहचान बाकी रहती है..खुद की नजरों मे कम-स-कम...बहुत नज़ाकत से दिल को छू गया यह पॉडकास्ट..नींद की अलसायी सरगोशी सा..निहायत ही पसंद आया..बजरिये प्रतीक जी को शुक्रिया..एक दिलचस्प तरीका है यह..कहने का..और वजह भी...बनाये रखियेगा आगे भी...आमीन!!
आज तक जितने भी पॉडकास्ट सुने उनमें से बहुत ही कम पसंद आये हैं... और ये अब तक के सुने कुछ बेस्ट पॉडकास्ट में शामिल हो गया है... ज़िन्दगी भर बदलती ज़िन्दगी... शायद इसीलिए ज़िन्दगी है... ये बदलाव थम गये तो ज़िन्दगी भी थम जायेगी...
रूमानी रूमानी सा है कुछ...कहते है नोस्टेल्जिया की उम्र कम हो गयी है .....हर पांच साल एक नोस्टेल्जिया देते है ....हम बहुत तेज़ भाग रहे है .इतना की कलेंडर भी हैरान होकर रुक कहकर कहता है ...."स्लो मैन"
रात के इस पहर एं सोचो क्या सितम ढाया होगा इस पोडकास्ट ने.. प्रतीक की फेसबुक प्रोफाईल पे क्लिक किये बिना रह नहीं सका.. वैसे कुछ गुंजाईश भी बनती है.. इसमें.. क्या बोलते हो ?
हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' -दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी प्रिय हिंदी ब्लॉगर बंधुओं , आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इस संगोष्ठी को संपोषित किया जा सके इस सन्दर्भ में औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.
संगोष्ठी की तारीख भी निश्चित हो गई है (२०-२१ जनवरी २०१२ ) संगोष्ठी में अभी पूरे साल भर का समय है ,लेकिन आप लोगों को अभी से सूचित करने के पीछे मेरा उद्देश्य यह है क़ि मैं संगोष्ठी के लिए आप लोगों से कुछ आलेख मंगा सकूं. दरअसल संगोष्ठी के दिन उदघाटन समारोह में हिंदी ब्लागगिंग पर एक पुस्तक के लोकार्पण क़ी योजना भी है. आप लोगों द्वारा भेजे गए आलेखों को ही पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जायेगा . आप सभी से अनुरोध है क़ि आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा करें . आप सभी के सहयोग क़ी आवश्यकता है . अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
डॉ. मनीष कुमार मिश्रा के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय गांधारी विलेज , पडघा रोड कल्याण -पश्चिम pin.421301 महाराष्ट्र mo-09324790726 manishmuntazir@gmail.com http://www.onlinehindijournal.blogspot.com/ http://kmagrawalcollege.org/
हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' -दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी प्रिय हिंदी ब्लॉगर बंधुओं , आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इस संगोष्ठी को संपोषित किया जा सके इस सन्दर्भ में औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.
संगोष्ठी की तारीख भी निश्चित हो गई है (२०-२१ जनवरी २०१२ ) संगोष्ठी में अभी पूरे साल भर का समय है ,लेकिन आप लोगों को अभी से सूचित करने के पीछे मेरा उद्देश्य यह है क़ि मैं संगोष्ठी के लिए आप लोगों से कुछ आलेख मंगा सकूं. दरअसल संगोष्ठी के दिन उदघाटन समारोह में हिंदी ब्लागगिंग पर एक पुस्तक के लोकार्पण क़ी योजना भी है. आप लोगों द्वारा भेजे गए आलेखों को ही पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जायेगा . आप सभी से अनुरोध है क़ि आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा करें . आप सभी के सहयोग क़ी आवश्यकता है . अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
डॉ. मनीष कुमार मिश्रा के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय गांधारी विलेज , पडघा रोड कल्याण -पश्चिम pin.421301 महाराष्ट्र mo-09324790726 manishmuntazir@gmail.com http://www.onlinehindijournal.blogspot.com/ http://kmagrawalcollege.org/
उन पर्चियों के साथ एक कला पर्स था..मैने उन पर्चियों को उठाया और पढ़ा .. वेक मी अप वेन सेपतेंबर एन्ड्स....वाकमैन की तरह जिन्दगी बदल गई...पहले टिचर से रूबरू होते थे ...अब टिचर की जगह बॉस ने ले ली है .. तब भी सिख रह थे और आज भी सिख रह हैं...बस इक जरा सा चेंज हुवा है.... चाक की जगह ..के बोर्ड... लोग कहते थे पहले अब तुम बड़े हो गए हो.. जब बड़े हुवे तो कहा ये तुम्हारे करने लायक नहीं है ..अभी तुम छोटे हो... पहले की मौज मस्ती और सौतिन को लोग जिन्दा दिल कहते थे आज वही मेंर्लेस बन गई है... मान में सवालों का वही पुलिंदा...आँखों में जवाब की तलाश और फिर से एक नया सफर.. कभी कभी उसे ऐसा लगता था ..की ये उसका भ्रम है और जब ये सपना टूटेगा फिर से वही होगा... पर शायद नहीं ...लेकिन ये कोई bharm नहीं था और ना ही कोई सपना..सपना नहीं था ....जिन्दगी सचमुच बदल गई है और..आगे भी बदलने वाली है... मेरी समझ से बैरंज पे डाकिये को चिट्ठी मिलने के बाद से ये नया प्रयोग है ब्लोगिंग की दुनिया में..दिल की बात कहने का ..सच में ये प्रयोग बेहतरीन हैं... शुक्रिया आपका ...पंकज सर अच्छी पोस्ट... लिखे से ज्यादे कहीं आवाज की कशिश दिल को रुलाती हैं...
20 comments:
टीचर से रूबरू
बॉस से रूबरू
यह पॉडकास्ट तो अन्दर से रूबरू कराता लग रहा है मत्र!
love this one :-) yeah! changes are inevitable
(अपने) इस पहलू और पोस्ट से रूबरू कराने के लिए शुक्रिया, दोस्त!
रोज़ कुछ-न-कुछ ऐसा मिलता है जो दिल को लुभा ले... आज ये मिल गया.
सितंबर का महीना शायद खूबसूरत ख्वाब देखने के लिये सबसे मुफ़ीद है..तभी..और उन ख्वाबों के संग बिछड़ी यादों के टूटे कांच की कसक भी बावस्ता होती है...मगर ख्वाबों के रंग नही बदलते..बस कैनवस बदल जाते हैं...जिंदगी के साथ..सच..जिंदगी वाकई बदल गयी है..और अभी बदलनी बाकी है..मगर सितंबर के ख्वाब अगर आँखों की कोरों मे अटके रहें तो अपनी पहचान बाकी रहती है..खुद की नजरों मे कम-स-कम...बहुत नज़ाकत से दिल को छू गया यह पॉडकास्ट..नींद की अलसायी सरगोशी सा..निहायत ही पसंद आया..बजरिये प्रतीक जी को शुक्रिया..एक दिलचस्प तरीका है यह..कहने का..और वजह भी...बनाये रखियेगा आगे भी...आमीन!!
ना जाने किसकी परछाइयों के पीछे भागे जा रहे हैं हम सब...खुद से दूर..बहुत दूर...
आज तक जितने भी पॉडकास्ट सुने उनमें से बहुत ही कम पसंद आये हैं... और ये अब तक के सुने कुछ बेस्ट पॉडकास्ट में शामिल हो गया है...
ज़िन्दगी भर बदलती ज़िन्दगी... शायद इसीलिए ज़िन्दगी है... ये बदलाव थम गये तो ज़िन्दगी भी थम जायेगी...
रूमानी रूमानी सा है कुछ...कहते है नोस्टेल्जिया की उम्र कम हो गयी है .....हर पांच साल एक नोस्टेल्जिया देते है ....हम बहुत तेज़ भाग रहे है .इतना की कलेंडर भी हैरान होकर रुक कहकर कहता है ...."स्लो मैन"
love you guys....
ज़िन्दगी पल -पल बदलती दिखी...इतने अहिस्ता से कि पता न चला..बेहद उदासी भरी आवाज़...
:(
रात के इस पहर एं सोचो क्या सितम ढाया होगा इस पोडकास्ट ने.. प्रतीक की फेसबुक प्रोफाईल पे क्लिक किये बिना रह नहीं सका..
वैसे कुछ गुंजाईश भी बनती है.. इसमें..
क्या बोलते हो ?
न जाने कितने निर्वातों को
आकर भर दिया है हमारे वर्तमान ने,
उन हवाओं से
जो अब नहीं भाती हैं,
पर क्या करें, बही जाती हैं।
आपकी आवाज़ की कशिश ... कुछ अलसाई हुई .. उनीनदी सी आवाज़ ...
मज़ा आ गया दोस्त ..
जिंदगी सचमुच में बदल गयी है....... आपकी आवाज़ में सुनना अच्चा लगा!
bahut achha laga sun kar...reaalyy good...script was amazing...
:-)
हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' -दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
प्रिय हिंदी ब्लॉगर बंधुओं ,
आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इस संगोष्ठी को संपोषित किया जा सके इस सन्दर्भ में औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.
संगोष्ठी की तारीख भी निश्चित हो गई है (२०-२१ जनवरी २०१२ ) संगोष्ठी में अभी पूरे साल भर का समय है ,लेकिन आप लोगों को अभी से सूचित करने के पीछे मेरा उद्देश्य यह है क़ि मैं संगोष्ठी के लिए आप लोगों से कुछ आलेख मंगा सकूं.
दरअसल संगोष्ठी के दिन उदघाटन समारोह में हिंदी ब्लागगिंग पर एक पुस्तक के लोकार्पण क़ी योजना भी है. आप लोगों द्वारा भेजे गए आलेखों को ही पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जायेगा . आप सभी से अनुरोध है क़ि आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा करें .
आप सभी के सहयोग क़ी आवश्यकता है . अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
डॉ. मनीष कुमार मिश्रा
के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय
गांधारी विलेज , पडघा रोड
कल्याण -पश्चिम
pin.421301
महाराष्ट्र
mo-09324790726
manishmuntazir@gmail.com
http://www.onlinehindijournal.blogspot.com/ http://kmagrawalcollege.org/
हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' -दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
प्रिय हिंदी ब्लॉगर बंधुओं ,
आप को सूचित करते हुवे हर्ष हो रहा है क़ि आगामी शैक्षणिक वर्ष २०११-२०१२ के जनवरी माह में २०-२१ जनवरी (शुक्रवार -शनिवार ) को ''हिंदी ब्लागिंग : स्वरूप, व्याप्ति और संभावनाएं '' इस विषय पर दो दिवशीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इस संगोष्ठी को संपोषित किया जा सके इस सन्दर्भ में औपचारिकतायें पूरी की जा रही हैं. के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग द्वारा आयोजन की जिम्मेदारी ली गयी है. महाविद्यालय के प्रबन्धन समिति ने संभावित संगोष्ठी के पूरे खर्च को उठाने की जिम्मेदारी ली है. यदि किसी कारणवश कतिपय संस्थानों से आर्थिक मदद नहीं मिल पाई तो भी यह आयोजन महाविद्यालय अपने खर्च पर करेगा.
संगोष्ठी की तारीख भी निश्चित हो गई है (२०-२१ जनवरी २०१२ ) संगोष्ठी में अभी पूरे साल भर का समय है ,लेकिन आप लोगों को अभी से सूचित करने के पीछे मेरा उद्देश्य यह है क़ि मैं संगोष्ठी के लिए आप लोगों से कुछ आलेख मंगा सकूं.
दरअसल संगोष्ठी के दिन उदघाटन समारोह में हिंदी ब्लागगिंग पर एक पुस्तक के लोकार्पण क़ी योजना भी है. आप लोगों द्वारा भेजे गए आलेखों को ही पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया जायेगा . आप सभी से अनुरोध है क़ि आप अपने आलेख जल्द से जल्द भेजने क़ी कृपा करें .
आप सभी के सहयोग क़ी आवश्यकता है . अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
डॉ. मनीष कुमार मिश्रा
के.एम्. अग्रवाल महाविद्यालय
गांधारी विलेज , पडघा रोड
कल्याण -पश्चिम
pin.421301
महाराष्ट्र
mo-09324790726
manishmuntazir@gmail.com
http://www.onlinehindijournal.blogspot.com/ http://kmagrawalcollege.org/
प्रतीक बाबु से मिलना पड़ेगा अब..लगता है..:)
बहुत ही खूबसूरत है दोस्त...बहुत :)
उन पर्चियों के साथ एक कला पर्स था..मैने उन पर्चियों को उठाया और पढ़ा .. वेक मी अप वेन सेपतेंबर एन्ड्स....वाकमैन की तरह जिन्दगी बदल गई...पहले टिचर से रूबरू होते थे ...अब टिचर की जगह बॉस ने ले ली है .. तब भी सिख रह थे और आज भी सिख रह हैं...बस इक जरा सा चेंज हुवा है....
चाक की जगह ..के बोर्ड...
लोग कहते थे पहले अब तुम बड़े हो गए हो..
जब बड़े हुवे तो कहा ये तुम्हारे करने लायक नहीं है ..अभी तुम छोटे हो...
पहले की मौज मस्ती और सौतिन को लोग जिन्दा दिल कहते थे आज वही मेंर्लेस बन गई है...
मान में सवालों का वही पुलिंदा...आँखों में जवाब की तलाश और फिर से एक नया सफर..
कभी कभी उसे ऐसा लगता था ..की ये उसका भ्रम है और जब ये सपना टूटेगा फिर से वही होगा...
पर शायद नहीं ...लेकिन ये कोई bharm नहीं था और ना ही कोई सपना..सपना नहीं था ....जिन्दगी सचमुच बदल गई है और..आगे भी बदलने वाली है...
मेरी समझ से बैरंज पे डाकिये को चिट्ठी मिलने के बाद से ये नया प्रयोग है ब्लोगिंग की दुनिया में..दिल की बात कहने का ..सच में ये प्रयोग बेहतरीन हैं... शुक्रिया आपका ...पंकज सर अच्छी पोस्ट... लिखे से ज्यादे कहीं आवाज की कशिश दिल को रुलाती हैं...
full of emotions with a very deep and balanced voice...lovely.
sir ye aapne record kiya h?
oh! pratik sir ne.....jo b h bada khoobsurat h.
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