Sunday, March 29, 2009

अर्थ आर् और आप लोगों की मदद!!

I celebrated Earth Hour yesterday by switching off lights and then in that darkness we all roommates talked and after a long time, it was a real fun. I was telling them that here in Bombay we are celebrating Earth Hour but at my native place i.e. Lakhimpur Kheri, electricity officials daily celebrate this thing and there is no time limit for that celebration.

A Help Needed--

Great Bloggers of Hindi community, kindly let me know which tool you use for blogging. I use Window Live Writer and even after wasting so much time in googling a plug in for Live Writer which can support Hindi transliteration, I am afraid to say that I didn’t get any.

So Hindi writing became a bit difficult for me as

1 – I write the post in windows Live Writer

2- then paste that post into blogger to transliterate my English words into Hindi

3 – then I again paste that post into live writer so that it can publish the post and along with that can ping to blog directories.

I find this three step way, very difficult and time consuming. Please do help me, if you have any clean and neat solution.

Dhanyawaad!!

Wednesday, March 25, 2009

कुछ ऐसे ही

काफ़ी दिनों से कुछ नहीं लिखा, सोंचा आज चलो कुछ लिखते हैं। आजकल काफ़ी अजीब अजीब से ख्याल मन में आ रहे हैं। बस तो उन ख्यालों पर एक विराम लगाता हूँ और अपने चहेते गानों में खो जाता हूँ:

१- खमाज
इस गाने को जब भी सुनता हूँ, आँखें अपने आप बंद हो जाती हैं और ये फयूज़न मेरी रगों में दौड़ने लगता है। ये गाना फयूज़न नाम के पाकिस्तानी बैंड के द्वारा रचित है और उन्होंने गितार और ड्रम के साथ राग खमाज को गाया है। मुझे राग नहीं पता हैं लेकिन इसका संगीत मुझे संगीत सीखने को प्रेरित करता है। रागों का संगीत और खमाज राग ।

२- अब मेरे पास तुम आई हो तो क्या आई हो:

नब्बे के दशक में दूरदर्शन पर एक धारावाहिक शुरू हुआ था जिसका नाम था ‘कहकशां’। जगजीत जी ने इसकी कुछ गज़लें गायी थीं। ये उनमें से एक है। नीरज रोहिल्ला जी को धन्यवाद, इस नज़्म से मेरा परिचय करवाने के लिए॥

३- चले तो कट ही जाएगा:
मुस्सरत नासिर जी की आवाज़ ने इस गाने को वो इज्ज़त दी जो इसे शायद कभी न मिलती। इस आवाज़ में वो नशा है जिसे पुरानी से पुरानी शराब भी नहीं दे सकती।

४- लम्बी जुदाई:

इस गाने को कोई परिचय नहीं चहिये। रेशमा जी की गायी हुई हर एक हरकत शरीर में एक बिजली पैदा करती है। रेशमा जो को मेरा सादर नमन। आपने जब भी गाया बहुत अच्छा गाया। आपकी एल्बम ‘दर्द’ में मुझे दुनिया के सारे दर्द दिखे और आपकी दर्द भरी आवाज़ में मैंने उन्हें बहुत करीब से महसूस किया।

५- नज़र मुझसे मिलाती हो:
इस गाने से ही मैंने जाना की ग़ज़ल क्या होती है। मेरी ज़िन्दगी का एक पन्ना इस गाने से शुरू होता है और वो पन्ना बहुत ही हसीं है। विडियो थोड़ा भद्दा है इसलिए उसे यहाँ देने के लिए मैं क्षमा चाहूँगा।

६- थोड़ा है थोड़े की जरूरत है:
किशोर दा ज़िन्दगी की सक्चाई के साथ ये गाना गाते हैं। मैंजब भी सफलता के लिए पागल हो जाता हूँ यहीं गाना मुझे धरा पे लाता है और समझाता है की मैंने क्या क्या खोया है यहाँ तक पहुँचने में और मुझे समझाता की ये ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है।


७- खुदा करे की मोहब्बत में:
नूरजहाँ ने इसे जिस अंदाज़ में गाया है वो कहीं और नहीं मिल सकता। तलत अज़ीज़ ने भी इसे गाया है और वो भी इसके साथ इन्साफ कर पाए हैं।


८- पहला नशा:

इसे में कभी भी सुन सकता हूँ और आमिर खान की तरह झूमने का जी भी करता है। ये गाना आपके दूसरे,तीसरे.. प्यार पर भी उतना ही अच्छा लगता है जितने पहले पर।


९- तुम पुकार लो:
तुम्हारा इंतेज़ार है….हेमंत दा की आवाज़ और फिर एक खामोशी…एक सुकून ….एक शान्ति। एक आम आदमी की आवाज़ ये गाना आज भी कहीं बजता है, तो में सब कुछ भूलकर इसकी तरफ़ बढ़ता चला जाता हूँ।


१०- ज़िन्दगी के सफर में गुज़र जाते हैं जो मकाम:

किशोर दा जब ज़िन्दगी की इस सक्चाई से रूबरू करवाते हैं तो लगता है की बस हम अकेले बैठे हो और अपने पुराने मकामों को याद करें और फिर एक दो आंसू गिराकर उन्हें सार्थक बनायें।


११- मिटटी दा बावा:

ये एक पंजाबी गाना है जिमें एक माँ अपने एक बच्चे के लिए तरसती है और एक मिटटी का गुड्डा बनाकर उसे याद करती है. जगजीत सर की आवाज़ में वो दर्द और भी गहरा हो जाता है।

काफ़ी गाने लिस्ट छोटी होने के कारण से छूट गए हैं। लेकिन ये गाने वो रत्न है जो मुझे अभी भी सुकून देते हैं और मेरे अंदर फिर से वो जज्बा – ऐ – मासूम पैदा करते हैं..

Monday, March 2, 2009

यादें…

 

आज थोडी तबियत ढीली होने की वजह से ऑफिस नहीं गया।  काफ़ी दिनों के बाद अपने फ्लैट में अकेला हूँ, क्यूंकि बाकी रूम मेटस ऑफिस गए हुए हैं। काफ़ी दिन हो गए हैं मुझे अकेले कहीं भी रहे हुए।  सिर्फ़ और सिर्फ़ मैं... वो लोग याद आ रहे हैं जो इस ज़िन्दगी की दौड़ में कहीं छूट गए हैं। कुछ लम्हे याद आ रहे हैं....

...मैं केजी कक्षा में हूँ।  एक प्यारी सी लड़की क्लास में आती है।  उसने एक बहुत सी प्यारी सी frock पहन रखी है और उसके सर पर एक गोल टोपी है।  मैडम पूछती हैं “आज ये किसके पास बैठेगी?” हमारा हाथ सबसे पहले खड़ा होता है और बाकि बेवकूफ बच्चे हमें देख रहे होते हैं।  और... वो हमारे पास ही बैठती है।  हम साथ मैं tiffin करते हैं और एक दूसरे की बोत्तल से पानी भी पीते हैं।  इसके अलावा उसके बारे में कुछ याद नहीं....

कक्षा ९.. हमारे जीव विज्ञान के सर जिनको बच्चे प्यार से ‘छिपकली’ बुलाते हैं। क्यूँ बुलाते हैं का कोई मोटा कारण तो नहीं है हाँ कुछ बच्चों से सुना है की वो blackboard पर ‘छिपकली’ अच्छी बनाते थे। ‘ छिपकली’ सर क्लास में पढ़ा रहे हैं और हम पहली कतार मैं बैठे हुए हैं।  पिता श्री का कहना था की पहली कतार मैं बैठने वाले लड़के मेधावी बनते हैं सो हम भी बैठे हैं। हम कुछ गुनगुना रहे हैं की उन्होंने हमें गुस्से से देखा और बुलाया।  जैसे हम उनके पास गए उन्होंने... बस अब क्या बोलें..., हमें पीटना शुरू कर दिया.. कभी इधर... कभी उधर... उस वक्त हमारे दिमाग मैं बस एक बात चल रही है की आख़िर हमने क्या किया है।  काफ़ी देर के बाद याद आया की हम एक गाना गुनगुना रहे थे... “छिपकली के नाना हैं, छिपकली के हैं ससुर... dianasur, dianasur...”

स्नातक तीसरा साल ... ख़बर मिली है की ‘विनीत’ मेडिकल कॉलेज में भरती है।  हम भी लखनऊ पहुँचते हैं और हमारी आंखों के सामने वो लेता होता है।  वो लड़ रहा है एक एक साँस के लिए।  कोमा मैं है... तब हम शायद पहली बार १०८ बार किसी भगवान् का नाम, या कोई मंत्र पढ़ते हैं की शायद उससे ही बच जाए।  लेकिन मेरा दोस्त चला जाता है।  सब रो रहे हैं, उसकी मम्मी रोते हुए हमसे कह रही हैं की “अब तुम क्रिकेट किसके साथ खेलोगे?” और हमारे आंसू नहीं निकल रहे हैं।  आत्मा धिक्कार रही है की सब रो रहे हैं, तुम क्यूँ नहीं लेकिन हम समझ ही नहीं पा रहे हैं की क्या हुआ है? एक वेन मैं वो लेता हुआ है, हम भी उस वेनमैं उसके साथ बैठ जाते हैं।  वेनचलती है, हम उसको छूते हैं..उसको पकड़ कर उसके पास लेट जाते हैं..और चिल्ला चिल्ला कर रोते हैं।

स्नातक तीसरा साल ... एक लड़की, पत्र मित्र बनी है, जिसके साथ अपने सारे सुख और दुःख बाँट रहे हैं और हम दोनों एक दूसरे को पत्र लिख रहे हैं।  उसे अपनी कवितायें लिख रहे हैं और वो हमेशा की तरह बड़े ही प्यार से उन पत्रों का उत्तर भेज रही है।  इस रिश्ते को हम ‘हमराज़’ का नाम देते हैं और एक दूसरे को बिना देखे हुए बातें करते रहते हैं।  उसके सारे पत्र, गुलाबी लिफाफों के साथ अभी तक हमारे पास रखे हुए हैं।  वो अपनी शादी में हमें आमंत्रित करती है।  हमें वहां कोई भी नहीं जानता है लेकिन जैसे ही अपना नाम बताते हैं, लगता है की न जाने इस घर से कितना पुराना रिश्ता हो।  फिर ‘उसको’ देखते हैं।  वो बहुत ही सुंदर है।  उससे बातें करते हैं पर बातें जैसे ख़त्म ही नहीं होतीं।  उसकी शादी होती है। हम वहां से चले आते हैं उसकी यादों के साथ। ( अभी कुछ दिन पहले ही उसको एक प्यारा सा बेबी हुआ है और वो बेवकूफ ‘मम्मी’ बन गई है।)

MCA दूसरा साल... हमारे हॉस्टल के एक कर्मचारी की बीवी को खून की जरूरत है। हम भी पहली बार अपना खून किसी को देते हैं।  बियर पीकर वापस आते हैं और अपने dean की क्लास करते हैं। ये हमारी ज़िन्दगी का सबसे हिम्मती कारनामा है क्यूंकि उसकी क्लास मैं बियर पीकर बैठना, अपनी मौत को गले लगाने जैसा है।   Hemant की बीवी भी kushal है।

और भी कुछ लम्हे हैं, जिनके बारे मैं लिखना मुझ जैसे तुक्ष ब्लॉगर के बस की बात नहीं है।  अभी चाय पीने का जबरदस्त मन हो रहा है तो हम चाय पीने चलते हैं।  तब तक के लिए अलविदा!!