सुबीर जी ने अभी दिवाली के मौके पर एक मुशायरे का आयोजन किया था जिस मे मै देर मे अपनी रचना भेज पाया। उनके ब्लाग से ही पढा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नही है। काश वो जल्दी से ठीक हो और हमारे जैसे लोगो का मार्गदर्शन ऎसे ही करते है॥
ये आपके लिये सर!!!
“दीप जलते रहे, झिलमिलाते रहे…… ।
एक – एक करके हम, यादो को जलाते रहे.. ॥
याद आया वो रास्ता, जो एकदम सीधा था…।
मगर जाम लडते रहे, हमारे पैर लड्खडाते रहे..॥
गुरूर था कि, वो हमेशा मेरे साथ है…।
कागज़ की नाव थी, समन्दर मे बहाते रहे.. ॥
कुछ पत्थर हमने, कभी आसमा की तरफ़ फेके थे..।
पथरीली ज़िन्दगी है.., ये खुदा को बताते रहे..॥
जाने कितनी दफ़ा…, कत्ल किया अपनी रूह का..।
फिर पहन कर फार्मल्स, दाग-ए-लहू छुपाते रहे…॥
दिल की कुछ ताको मे, रोशनी आजतलक नही पहुची..।
दीवाली का मौका था, ’पन्कज’ मोमबत्तिया जलाते रहे…॥”
गलतियो के लिये माफ़ करे.. ज्यादा जानकार नही हू बस लिख लेता हू…. ॥
9 comments:
दिल की कुछ ताको मे, रोशनी आजतलक नही पहुची..।
दीवाली का मौका था, ’पन्कज’ मोमबत्तिया जलाते रहे…॥”
बहुत सुंदर पंकज जी ,
वाह ये पहला या दूसरा अवसर है जब मैं ही प्रथम टिप्पणी कर रही हूँ वरना तो अपन हमेशा से फिसड्डी रहते हैं ।
जाने कितनी दफ़ा…, कत्ल किया अपनी रूह का..।
फिर पहन कर फार्मल्स, दाग-ए-लहू छुपाते रहे…॥
बहुत सुंदर, बधाई
tumne fir se bhokaal madha diya hai...i am surprise ki is hectic and sometime frustating life style me tum itne ache thought kaise sonch lete ho...I hav already given up.. KEEP it up
@Asha ji
aap ke pratikriya kabhi fisaddi nahi rahti..hamesha aur utsaah deti hai..
@Lalit ji
Dhanyawaad protsahna ke liye
@Anuj
Thanks Dear..You know you are the best :)
bahut aachi hai ... sunte waqt aur zyada achi lagi thi :)
जाने कितनी दफ़ा…, कत्ल किया अपनी रूह का..।
फिर पहन कर फार्मल्स, दाग-ए-लहू छुपाते रहे…॥
ye bahut achha hai .tumhe bahut suit karta hai
add me into ur regular comments giver,,wrong english,,lolz,,
nice hai ji
gret gret!! jabarjast hai.. kaagaj ki naav thii, samandar mei bahata rahe, swayam Aag(rdx bomb) hokar bhi pankaj ji chingariyan jalaate rahe.
regards/
कच्चा माल देखने का अपना ही मजा है। बहुत खूब!
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